आरती त्रिपाठी,नई दिल्ली
22-अप्रैल-2022
हर शुक्रवार को आयोजित होने वाले “शुक्रवार संवाद” कार्यक्रम में इस बार समय प्रबंधन विषय पर चर्चा करने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस थिएटर और टीवी कलाकार रश्मि गोल्या आईआईएमसी दिल्ली के परिसर आईं।कार्यक्रम का आयोजन आईआईएमसी के महात्मा गांधी मंच से हुआ । कार्यक्रम में उर्दु पत्रकारिता विभाग केे पाठ्यक्रम निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार , हिन्दी पत्रकारिता विभाग के पाठ्यक्रम निदेशक प्रो.आनंद प्रधान,रेडियो और टेलीविजन विभाग के पाठ्यक्रम निदेशक प्रो. गोविंद सिंह शामिल रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. प्रमोद कुमार ने रश्मि गोल्या के स्वागत और आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी का शुक्रगुजार करके किया । समय प्रबंधन को लेकर उन्होंने कहा कि मीडिया जगत और पत्रकारों के लिए समय के प्रबंधन का अत्यधिक महत्व है।अपने समय का प्रबंधन उचित रूप से करने के लिए पहले किसी भी अनावश्यक काम को न कहना सीखें ।यह हमारे छात्रों का सौभाग्य है कि मीडिया जगत में जाने से पहले वह समय प्रबंधन सीख रहे हैं।
बाद में वक्ता रश्मि गोल्या ने विद्यार्थियों व शिक्षकों को समय प्रबंधन से संबधित कई सुझाव दिए व एक्टिविटी करवाई।उन्होंने कहा कि समय का महत्व पैसे से कहीं अधिक है और अच्छी आदतें व्यक्ति में थोड़े बदलाव से आती है ।लोगों के बारे में नहीं खुद के बारे में सोंचे,खुद का मुल्याकन करें।
समय प्रबंधन हमारे व्यक्तिगत और प्रोफेशनल जीवन दोनोंं के लिए किफायती है।समय प्रबंधन किसी काम के योजना बनाने,जीवन के उद्देश्य पहचानने,जरूरी काम को प्राथमिकता देने और तकनीकी के जरिए जीवन को बेहतर बनाने में उपयोगी है।
उन्होंने आगे कहा कि संगठनों में समय का प्रबंध करने की योग्यता की बड़ी मांग है।वह लोग जो समय प्रबंध करने और समय पर अपना काम खत्म करने में,कार्य-कुशल होते हैं ऐसे लोगों की संगठनों को जरूरत है।
उन्होंने आगे बताया कि कुछ आकड़ो के अनुसार, लोग हर दिन कम से कम अपना दो घंटे जाया करते है जैसे कि चीजों को व्यवस्थित न करने से कुछ ढूढ़ न पाना ,थकावट,फोकस न कर पाना इत्यादि ।
अपने समय को मानीटर करें और पैसे की तरह सोच -समझकर खत्म करें। प्रतिदिन अपने काम करने की सूची तैयार करें।एक शोध में यह सिद्ध भी हुआ है कि काम की सूची बनानेे से काम करने की क्षमता में 25 % प्रतिशत की वृद्धि होती है और कोई काम पूरा हो जाने पर खुद को रिवार्ड भी दें।और कुछ छूट भी जाए तो पछताए नहीं,आगे बढ़े।
इसी के साथ उन्होंने कार्यक्रम की समाप्ति एक कविता से की…
कुछ न कुछ छुटना तो लाजमी है
अचानक से आज ख्याल आया कि
अखबार पढ़ा तो प्राणायाम छूटा
प्राणायाम किया तो अखबार छूटा
दोनों किए तो नाश्ता छूटा
सब जल्दी जल्दी किया
तो आनंद छूटा
हेल्दी खाया तो स्वाद छूटा
स्वाद का खाया तो हेल्थ छूटा
कुछ न कुछ छुटना तो लाजमी है
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